यूं तो सन टैनिंग एक आम समस्या है लेकिन अगर इस पर ध्यान ना दिया जाए तो यह धीरे-धीरे गंभीर रुप भी ले सकती है। टैनिंग से त्वचा का रंगत ढलने लगती है। सूरज की अल्ट्रावॉयलेट बी और अल्ट्रावॉयलेट ए किरणें त्वचा की नमी को चुरा लेती हैं। इससे हमारी त्वचा पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। अगर त्वचा ज्यादा समय तक धूप में रहती है तो त्वचा तेजी से मेलानिन का निर्माण शुरू कर देती है। यह त्वचा की स्व-प्रतिरोधक प्रणाली है जिससे त्वचा की ऊपरी परत प्रभावित होती है और त्वचा काली पड़ने लगती है।
सूर्य की किरणें दो तरह की होती है एक यूवीए व दूसरी यूवीबी। यूवीए से त्वचा में टैनिंग होती है और झुर्रियां पड़ती हैं। यूवीबी से त्वचा में जलन होती है। कॉस्मेटिक उत्पादों में यूवीबी का मेजरमेंट अच्छा होता है। इस तरह उसका एसपीएफ फैक्टर बढ़ जाता है। वहीं मेडिकेटेड सनस्क्रीन यूवीए का मेजरमेंट अधिक होता है, जो टैनिंग से बचाता है। जिन सनस्क्रीन में यूवीए ज्यादा होता है वह लगाने के बाद व्हाइट और पिंक इफेक्ट देती है। इनमें विटमिन सी, ई और लाइकोपीन होता है जो त्वचा को हाइड्रेट करते हैं और टैन होने से बचाते हैं।
सूर्य की किरणें दो तरह की होती है एक यूवीए व दूसरी यूवीबी। यूवीए से त्वचा में टैनिंग होती है और झुर्रियां पड़ती हैं। यूवीबी से त्वचा में जलन होती है। कॉस्मेटिक उत्पादों में यूवीबी का मेजरमेंट अच्छा होता है। इस तरह उसका एसपीएफ फैक्टर बढ़ जाता है। वहीं मेडिकेटेड सनस्क्रीन यूवीए का मेजरमेंट अधिक होता है, जो टैनिंग से बचाता है। जिन सनस्क्रीन में यूवीए ज्यादा होता है वह लगाने के बाद व्हाइट और पिंक इफेक्ट देती है। इनमें विटमिन सी, ई और लाइकोपीन होता है जो त्वचा को हाइड्रेट करते हैं और टैन होने से बचाते हैं।
सन प्रोटेक्शन कपड़े
सूर्य की किरणों से बचाने जितने मददगार कपड़े होते हैं उतना सनस्क्रीन नहीं। आप चाहें तो सूर्य के सामने कपड़े को लगाकर देख सकते हैं कि उससे धूप आपके पास कितनी आ रही है। अगर धूप एकदम नहीं आती, तो समझ लीजिए कि वह आपको सबसे अधिक सुरक्षा प्रदान करेगा। खादी या कॉटन के कपड़े सबसे अधिक सन प्रोटेक्शन देते हैं। जिंक ऑक्साइड या टिटैनियम डाईऑक्साइड जैसे सनब्लॉक ओपेक मटीरियल यानी अपारदर्शी होने के कारण त्वचा पर सुरक्षा कवच चढ़ा देते है, जिससे सूर्य की किरणें त्वचा पर सीधा असर नहीं डालतीं।
सनस्क्रीन लगाएं
सनस्क्रीन लगाए बिना घर से बाहर ना निकलें। ध्यान रहे बाहर निकलने के 15 मिनट पहले सनस्क्रीन लगाएं। एसफीएफ फैक्टर का चयन आपके धूप में बाहर रहने के घंटों पर निर्भर करता है। किसी सनस्क्रीन के लगाने से हमें जिस मात्रा में यूवीबी किरणों से सुरक्षा मिलती है, उसे ही सन प्रोटेक्शन फैक्टर कहते हैं। इस एसपीएफ में जो नंबर दिया होता है उसी से यह पता चलता है कि वह सनस्क्रीन कितने लंबे समय तक हमारी त्वचा को धूप के प्रभाव से सुरक्षित रख सकती है।
मॉश्चरराइजर भी जरूरी
त्वचा की प्राकृतिक नमी बरकरार रखने के लिए उसे मॉश्चरराइज करने की जरूरत होती है। आजकल ऐसे बहुत सारे मॉश्चरराइजर बाजार में हैं, जिनमें एसपीएफ भी होता है। ऐसे में आप अपने लिए मॉश्चरराइजर वाला सनस्क्रीन चुन सकते हैं। आप चाहें तो पहले त्वचा पर मॉइश्चराइजर लगाकर, फिर सनस्क्रीन लगा सकते हैं या सनस्क्रीन में थोड़ा मॉइश्चराइजर मिलाकर लगाएं। इससे सनस्क्रीन का असर कम नहीं होता।
एंटीऑक्सीडेंट आहार लें
अपने खाने में ज्यादा से ज्यादा रस भरे फलों का प्रयोग करें जैसे बेरी, संतरे, आंवला। इसके अलावा हरी सब्जियों का सेवन करना चाहिए क्योंकि इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। ये आहार अंदर से सनस्क्रीन का काम करते हैं और आपकी त्वचा को डैमेज होने से भी बचाते हैं।
छाता लेकर चलें
धूप की अल्ट्रावॉयलेट किरणों से बचने के लिए छतरी से अच्छा और कोई विकल्प नहीं हो सकता है। धूप में जाने से पहले छाता ले जाना कभी ना भूलें क्योंकि सनस्क्रीन जहां अधिकतम 90 एसपीएफ तक आपको प्रोटेक्शन दे सकते हैं, वहीं छतरी 200 एसपीएफ तक प्रोटेक्शन देती है।
घर के अंदर भी सनस्क्रीन लगाएं
घर से बाहर निकलते समय तो सनस्क्रीन लगाने की सलाह दी ही जाती है, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि घर के अंदर भी सनस्क्रीन लगाना फायदेमंद होता है, क्योंकि आर्टिफिशयल लाइट भी त्वचा पर असर डालती है। इनमें भी कुछ मात्रा में रेडिएशन होता है। घर के भीतर भी एक बार एसपीएफ 15 तक का सनस्क्रीन लगाना चाहिए।
अपनी नर्म व कोमल त्वचा की खास देखभाल के लिए हर रोज बाहर निकलने से पहले ऊपर दिए गए टिप्स को अपनाना ना भूलें। ये टिप्स को आपकी त्वचा सनटैन से बचाने के साथ ही हमेशा जवां व चमकदार बनाए रखेंगे।
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